Sister Concern of AIPC (Regd.No.987)
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हिंदी जगत की शीर्ष साहित्यिक पत्रिका
शाश्वत मूल्यों, वैश्विक सरोकार एवं
मानवीय संवेदना की संवाहक त्रैमासिकी
आज जब देश पीत पत्रकारिता के संक्रमण से गुज़र रहा है, जब हम
साहित्यिक खोखलेपन का दंश झेल रहे है, सभ्यता के मूल मिटते जा रहे हैं ,
संस्कृति अर्थहीन हो चुकी है , मानवीय संवेदना लगभग मरती जा रही हे ,
समाज पूरी तरह दिग्भ्रमित है , राजनीति अनीति बन चुकी है ऐसे में क्षुद्र विचार , क्षणिक चिंतन और मृतप्राय मानवता कराह रही है, लोग धर्म छोड़ कर कर्मकाण्ड मे लिप्त हो गए हैं, ऐसे मे एक विशुद्ध साहित्यिक पत्रिका द्वारा मानवता की रक्षा का संकल्प लेना दुस्साहस ही होगा परंतु हम नहीं करेंगे तो कौन आगे आयेगा ?
शाश्वत मूल्यों, वैश्विक सरोकार एवं
मानवीय संवेदना की संवाहक त्रैमासिकी
आज जब देश पीत पत्रकारिता के संक्रमण से गुज़र रहा है, जब हम
साहित्यिक खोखलेपन का दंश झेल रहे है, सभ्यता के मूल मिटते जा रहे हैं ,
संस्कृति अर्थहीन हो चुकी है , मानवीय संवेदना लगभग मरती जा रही हे ,
समाज पूरी तरह दिग्भ्रमित है , राजनीति अनीति बन चुकी है ऐसे में क्षुद्र विचार , क्षणिक चिंतन और मृतप्राय मानवता कराह रही है, लोग धर्म छोड़ कर कर्मकाण्ड मे लिप्त हो गए हैं, ऐसे मे एक विशुद्ध साहित्यिक पत्रिका द्वारा मानवता की रक्षा का संकल्प लेना दुस्साहस ही होगा परंतु हम नहीं करेंगे तो कौन आगे आयेगा ?
ए. आइ. पी. सी. का उपक्रम : पंजी० सं० ९८७
संस्थापक संपादक : डा० लारी आज़ाद
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